PM Awas Yojana: गांव की गलियों में जब कोई योजना अधूरी रह जाती है, तो उसका असर सिर्फ ईंट-पत्थरों पर नहीं बल्कि वहां के लोगों की उम्मीदों और जरूरतों पर भी पड़ता है। गरीब परिवार अपने पक्के घर का सपना देखते हैं, मजदूर रोज़गार की तलाश में दर-दर भटकते हैं और बच्चों को खेल के लिए एक सुरक्षित मैदान तक नहीं मिलता।
अधूरी योजनाओं पर सख्त रुख
PM Awas Yojana समीक्षा बैठक के दौरान उन्होंने 2022-23 में शुरू हुई योजनाओं की विस्तार से समीक्षा की और नियमानुसार जो कार्य अधूरे रह गए हैं उन्हें समयसीमा के भीतर बंद करने का निर्देश दिया। खासतौर पर उन्होंने यह सुनिश्चित करने को कहा कि जिन परियोजनाओं का काम अभी तक अटका हुआ है, उन्हें तुरंत गति दी जाए। उनका कहना था कि योजनाओं में देरी का सीधा असर ग्रामीण जनता पर पड़ता है, इसलिए इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मनरेगा से मिलेगा 100 दिनों का रोज़गार
PM Awas Yojana अमिताभ भगत ने मनरेगा के तहत ग्रामीण मजदूरों को सौ दिनों का रोजगार उपलब्ध कराने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि लंबित स्कीमों को मनरेगा मजदूरों की भागीदारी से शुरू किया जाए ताकि लोगों को काम भी मिले और गांव की योजनाएं भी समय पर पूरी हों। इससे न सिर्फ रोजगार बढ़ेगा बल्कि गांवों में विकास की रफ्तार भी तेज होगी।
PM Awas Yojana से लोगों का सपना होगा पूरा
बैठक में PM Awas Yojana की भी समीक्षा की गई। गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों के लिए यह योजना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके तहत उन्हें पक्के घर का सपना साकार होता है। लेकिन जब ऐसे घर अधूरे रह जाते हैं, तो परिवारों को काफी कठिनाई होती है। यही कारण है कि बीडीओ ने अधिकारियों से कहा कि सभी अपूर्ण आवासों का निर्माण जल्द से जल्द पूरा किया जाए, ताकि लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर न हों।
हर गांव में बनेगा खेल मैदान
PM Awas Yojana समीक्षा के दौरान एक और बड़ा फैसला लिया गया कि प्रत्येक गांव में वीर शहीद पोटो हो खेल मैदान का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए गांवों की सरकारी जमीन को चिन्हित करने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। खेल मैदान बनने से गांव के बच्चों और युवाओं को न सिर्फ खेलने का अवसर मिलेगा, बल्कि यह ग्रामीणों के लिए एक सामूहिक स्थल के रूप में भी काम करेगा। खेल मैदान गांवों में उत्साह, एकता और नई ऊर्जा का प्रतीक बन सकते हैं।
विकास की रफ्तार बढ़ाने पर जोर
अमिताभ भगत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि योजनाओं में देरी से आम जनता का भरोसा कमजोर होता है, इसलिए विकास कार्यों को तेजी से पूरा करना जरूरी है। उनका मानना है कि योजनाएं तभी सफल होती हैं जब वे समय पर और गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरी हों। मनरेगा और PM Awas Yojana जैसी योजनाएं ग्रामीणों की जीवनशैली को बदलने की क्षमता रखती हैं, और अगर इन्हें सही ढंग से लागू किया जाए तो यह गांवों में विकास की तस्वीर ही बदल सकती हैं।
उम्मीदों को मिले पंख
PM Awas Yojana चाईबासा प्रखंड में हुई इस समीक्षा बैठक ने ग्रामीणों के दिलों में नई उम्मीद जगाई है। मजदूरों को रोजगार मिलने की उम्मीद है, गरीबों को अपने घर मिलने की आशा है और बच्चों को खेलने के लिए सुरक्षित मैदान मिलने की खुशी है। यह सिर्फ योजनाओं की समीक्षा नहीं बल्कि गांवों के उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ाया गया एक ठोस कदम है।
Disclaimer: यह लेख केवल सूचना देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारियां समाचार और प्रशासनिक समीक्षा रिपोर्ट पर आधारित हैं। किसी भी योजना से संबंधित ताज़ा और सटीक जानकारी के लिए संबंधित विभाग या आधिकारिक स्रोत से संपर्क करना आवश्यक है।
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